The best Side of Shodashi
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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her importance, exactly where rituals and choices are created in her honor. These observances certainly are a testament to her enduring allure as well as the profound impression she has on her devotees' life.
एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः
Goddess is popularly depicted as sitting down on the petals of lotus that is stored to the horizontal body of Lord Shiva.
The underground cavern features a dome superior above, and hardly noticeable. Voices echo wonderfully off the ancient stone on the partitions. Devi sits in the pool of holy spring water with a Cover excessive. A pujari guides devotees by way of the entire process of shelling out homage and getting darshan at this most sacred of tantric peethams.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह website दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
ഓം ശ്രീം ഹ്രീം ക്ലീം ഐം സൗ: ഓം ഹ്രീം ശ്രീം ക എ ഐ ല ഹ്രീം ഹ സ ക ഹ ല ഹ്രീം സ ക ല ഹ്രീം സൗ: ഐം ക്ലീം ഹ്രീം ശ്രീം
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
Gaining the attention of Shodashi, kinds ideas in the direction of Other people become extra beneficial, considerably less vital. Types interactions morph into a thing of good magnificence; a thing of sweetness. This can be the that means of the sugarcane bow which she carries generally.
यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं
, form, by which she sits atop Shivas lap joined in union. Her attributes are limitless, expressed by her 5 Shivas. The throne upon which she sits has as its legs the five kinds of Shiva, the well known Pancha Brahmas
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥